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ना बोलने में हिचकिचाहट क्यों ? This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

ना बोलने में हिचकिचाहट क्यों ?

आप किचन में ऑलरेडी बिजी हैं, लेकिन किसी ने आपको, कोई और काम करने का ऑर्डर दे दिया। या आज आप आराम करना चाहते थे, इसलिए आपने खुद का ऑफिस का काम या स्टडी भी नहीं की, लेकिन कोई आपको फ्री देखकर, अपना काम थमा कर चला जाए। या फिर, आप ऑफिस ऑफ होते ही घर भागने की फिराक में थे, और बॉस ने एक्स्ट्रा वर्क के लिए बोल दिया। तो बताइए आप क्या करेंगे। ऐसी सिचुएशन में आपका मन बार-बार नो बोल रहा होगा, लेकिन आपकी जुबान से हां निकल गया होगा। क्या आप भी उन लोगों में से एक हैं, जिन्हें नो बोलना नहीं आता? घर, फ्रेंडसर्कल, ऑफिस या सोसायटी में कभी आपका, मन हुआ हो, किसी बात को डिनाय करने का, लेकिन आप नहीं कर पाए। एक्चुअली किसी को मना करना, हर्गिज गलत नहीं है। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो डायरेक्ट मना कर देते हैं। कुछ ऐसे होते हैं, जो कभी “ना” नहीं बोल पाते, और एक कैटेगरी उन लोगों की होती है, जो साफ मना भी नहीं करेंगे, और न ही हां बोलेंगे। मतलब वो ऐसा कहेंगे कि- अच्छा, सोचेंगे, बाद में बताते हैं। ऐसे लोग अपने आप को और दूसरों को भी प्रोबलम में डालते हैं, क्योंकि वो पहले मना नहीं करेंगे, और जब लोग उनसे उम्मीद लगा लेंगे, तब ऐन मौके पर मना कर देंगे। ऐसे में सामने वाले का वक्त बर्बाद होता है। अगर आप उसी वक्त मना कर देते हैं, तो उसे बुरा जरूर लगेगा, लेकिन उसका वक्त जाया होने से बच जाएगा। इसलिए कहा जाता है कि टाइम पर ना बोलना, एक आर्ट है।

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हमें बचपन से ही दूसरों की मदद करना और पोलाइट रहना सिखाया जाता है। और इसी वजह से हम, फैमिली, रिशतेदार, स्कूल, ऑफिस, सोसायटी और फिर फ्रेंडसर्कल में सभी की, हर बात मानना शुरू कर देते हैं। आपके ऐसे नेचर की, हर कोई प्रशंसा करेगा! शुरुआत में अपनी तारीफ सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा, लेकिन यकीन मानिए एक टाइम ऐसा आएगा, जब आप खुद से frustrated होना शुरू कर देंगे। उदाहरण के लिए, आपसे किसी ने पैसे उधार मांगे। रिस्पेक्ट या फिर किसी और वजह से आपने उसकी मदद कर भी दी, लेकिन बाद में आपको गिल्ट फील हुआ। इसलिए साफ शब्दों में ना बोलना चाहिए। और उससे भी बड़ी बात, अगर लोग, आपका या आपके रिसोर्सेज का हमेशा यूज करते हैं, तो उन्हें साफ मना करें। आपका समय और एनर्जी, दोनों बहुत इंपॉरटेंट हैं, उन्हें यूं ही जाया न करें। Actually नो कहने का भी एक तरीका होता है, इसका मतलब किसी को तमाचा मारना भी नहीं है। आपके बॉस, रिश्तेदार या कोई भी हो, अपना एक क्लीयर ओपिनियन उनके सामने रखें। बिलकुल ईमानदारी और politeness से, उन्हें बताए कि यह काम आप नहीं कर सकते। पॉसिबल है कि इंस्टेंटली लोगों को आपका ऐसा रिस्पाँस अच्छा नहीं लगेगा, लेकिन लाँग टर्म में उन्हें आपकी यह आदत सही लगेगी।

क्या आपने कार्तिक कॉलिंग कार्तिक मूवी देखी है। उसमें कार्तिक एक इंटरोवर्ट परसन है, जिसे लोग अक्सर नज़रअंदाज कर के गुजर जाते हैं। उसे भी मना करना नहीं आता था। और उसने भी लाइफ में कई फेलियर देखे। लेकिन जब उसने, खुद की क्रिस्टल क्लीयर राय लोगों के सामने रखना शुरू की, तब आप देखते हैं कि कैसे उसकी पूरी जिंदगी बदल जाती है। आपका डर भी, हमेशा हां कहने की वजह हो सकता है! लोग आपको निकम्मा न समझ लें, इसी डर की वजह से, आप हमेशा सफर करते हैं। लोग आपको ग्रांटटेड लेने लगते हैं। पर यह आपकी जिंदगी है, आप डिसिजन ले सकते हैं। संबंध बिगड़ने का डर अपने दिमाग से निकाल दें, क्योंकि अगर कोई रिश्ता सिर्फ आपके सैक्रिफाइज पर टिका है, तो उसका क्या फायदा। और जिनके लिए आप मायने रखते हैं, वो आपकी बात को जरूर समझेंगे। हां, इस अंदाज में मना करिए, कि सामने वाले का इगो हर्ट ना हो। खुद के लिए एक बाउंड्री बनाए, कि किसे, किस हद तक आने देना है। अगर लोग, आपको सेलफिश समझते हैं, तो सोचने दें। हां, हमें दूसरों की खुशी का भी ध्यान रखना चाहिए, लेकिन अपनी मेंटल पीस का भी ध्यान रखें। क्या आप भी किसी को नो नहीं बोल पाते। खुद गिल्ट फील करते हैं, कि कैसे मना करें। सामने वाले को बुरा लग जाएगा। आपको पता है इस बारे businessmen वॉरेन बफे ने क्या कहा था, "जितने भी सफल लोग हैं, वो लगभग हर चीज के लिए ना बोलते हैं।" इसलिए जब आपकी इनर सोल, दूसरों पर फेवर करने के लिए, बार-बार मना कर रही हो, तो साफ मना करें। क्योंकि ना बोलकर, आप उन दूसरी चीजों के लिए हां बोल सकते हैं, उनके लिए वक्त निकाल सकते हैं, जो आपके लिए सच में इंमपॉरटेंट हैं।